Team India के इस खिलाड़ी को टीम में सरेआम दी जाती थी भद्दी गालियाँ, इंग्लैंड दौरा बीच में छोड़कर भाग आया था देश

Team India के लिए खेलते हुए क्रिकेट की पिच हो या हो आम भारतीय के टेलीविजन की स्क्रीन या फिर हो राजनीति की पिच, एक नाम जिसने हर भारतीय को अपनी बात से, अपने भाषण से या अपनी कॉमेडी से कभी ना कभी जरूर प्रभावित किया है.
हम बात कर रहे हैं अपने जमाने के मशहूर क्रिकेटर, आज के जमाने के मशहूर टीवी पर्सनैलिटी नवजोत सिद्धू की. नवजोत सिद्धू का जन्मे एक आम सिख परिवार में 20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला में हुआ था. वो 1983 से लेकर 1999 तक भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेले और बाद के सालों में राजनीति में आ गए और बीजेपी के कद्दावर नेता के रूप में अपनी छाप छोड़ी.
हालांकि वो टेलीविजन पर क्रिकेट की कमेंट्री भी करते नजर आए कुछ साल और फिर कपिल शर्मा के शो में सोनी टीवी पर भी उन्हे लोगों को हँसाते देखा गया. फिर वो अचानक बीजेपी से अलग होकर कॉंग्रेस में शामिल हो गए और यहाँ उनकी कैप्टन अमरिंदर सिंह से अदावत किसी से छुपी हुई नहीं है.
पिछले साल पंजाब में हुए चुनाव से एकदम पहले, वो सिद्धू ही थे जिसने आलाकमान के साथ मिलकर अमरिंदर सिंह को अलग थलग कर दिया था और बाद में अमरिंदर सिंह ने पार्टी ही छोड़ दी थी. सिद्धू को हमेशा से एक बागी और मुंह के सामने बात कहने वाला सरदार माना गया है.
यही वजह है की वो अपने जवानी के दिनों में काफी हसमुख किस्म के इंसान थे और कहा जाता है की वो टीम के ड्रेसिंग रूम में कभी किसी खिलाड़ी को उदास नहीं होने देते थे. खैर हम यहाँ जिक्र कर रहे हैं एक घटना का जिसका उस समय काफी बड़ा बवाल बना था. आइए आपको विस्तार से बताते हैं उस घटना के बारे में….

क्या हुआ था 1996 के इंग्लैंड दौरे पर?
ये 1996 का साल था और भारतीय टीम ने तीन टेस्ट मैच की सीरीज के लिए इंग्लैंड का दौरा किया था. भारतीय टीम के उस इंग्लैंड दौरे पर टीम की कमान हमेशा की तरह मोहम्मद अज़रूद्दीन के हाथ में थी. आप को बता दें की अजहर काफी लंबे समय तक टीम के टेस्ट और एकदिवसीय कप्तान रहे थे. दूसरी तरफ अंग्रेज टीम के कप्तान उस समय थे माइकल एथरटन.
खैर उस समय सिद्धू एक स्थापित सदस्य थे टीम के और वो टीम के साथ बतौर सलामी बल्लेबाज जुड़े हुए थे. दोनों टीमों के बीच पहला टेस्ट मैच एजबेस्टन के मैदान में खेला गया.
इस मैच में टीम में सिद्धू को स्थान नहीं दिया गया, हालांकि उनके पास इस मैच से पहले भरपूर अनुभव था. लेकीन कहा ये गया की टीम कॉम्बिनेशन को सही से सेट करने के लिए सिद्धू को टीम से बाहर रखा गया है. उस मैच में अजय जडेजा और विक्रम राठोड़ ने भारत की तरफ से ओपनिंग की थी.
जडेजा को वैसे एकदिवसीय क्रिकेट का स्पेसलिस्ट बल्लेबाज माना जाता था और उनका सिद्धू की जगह खेलना हर किसी को हजम नहीं हो रहा था. एक और खास बात ये हुई की जडेजा उस टेस्ट की पहली पारी में खाता भी नहीं खोल पाए थे और दूसरी पारी में भी केवल 6 रन बना पाए थे.
भारत ये मैच 8 विकेट से हार गया था. लेकिन इस मैच में नहीं चुने जाने पर क्या हुआ था ये आजतक किसी को नहीं पता है, क्योंकि सिद्धू अगले दोनों मैच का इंतजार किए बिना ही देश लौट आए थे.
कहा जाता है की कप्तान अजहर और सिद्धू के बीच जोरदार झगड़ा हुआ था और सिद्धू ने अपने चयन न होने को लेकर सीधे सीधे अजहर को ही जिम्मेदार माना था.
ऐसे किसी खिलाड़ी के टीम से अचानक से अलग होकर देश लौटने से बीसीसीआई की शाख पर बट्टा लगा था और बोर्ड ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन किया था.
कमेटी को क्या पता चला?
उस समय बीसीसीआई के सचिव रहे जयवंत लेले ने अपनी किताब “I was There – Memoirs of a Cricket Administrator” में इस पूरे किस्से का साफ तौर पर जिक्र किया था. उनकी लिखी बातों पर यकीन करें तो, नवजोत सिंह सिद्धू कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन द्वारा उन्हे टीम में नहीं खिलाए जाने से नाराज होकर ही इस दौरे को छोड़ आए थे.
जयवंत की किताब के अनुसार, “नवजोत सिंह सिद्धू इस बात से बहुत अधिक गुस्से में थे की मोहम्मद अजहरूद्दीन हर किसी के सामने ही उनका मजाक बना दिया करते थे और एक खिलाड़ी के तौर पर उसे सम्मान नहीं देते थे.
उन्होंने अपनी किताब में यहाँ तक लिखा की अजहर सिद्धू को सरेआम सबके सामने अपशब्द बोल देते थे. जब नवजोत को लगा की बात सर से उपर निकल चुकी है तो सिद्धू बिना किसी को कुछ कहे, इंग्लैंड दौरे से वापस आ गए थे.’’
हालांकि जिस कमेटी का गठन बोर्ड ने किया था उसमे राज सिंह डुंगरपुर, आईएस बिंद्रा, सुनील गावस्कर और खुद जयवंत लेले शामिल थे. लेकीन लाख कोशिश के बाद भी इस कमेटी के सामने नवजोत सिंह सिद्धू ने कुछ भी नहीं कहा.